बाजपट्टी।प्रखण्ड के बनगाँव बाजार स्थित बाबा कुटीर राम जानकी मठ में श्री श्री 108 महंत रघुनाथ दास जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि पर महंत माधव दास के तत्वाधान में जारी नौ दिवसीय राम नाम संकीर्तन नवाह का समापन बुधवार को हो गया।इस दौरान नौवे दिन देर रात तक राम जानकी की विवाहोत्सव हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया।मर्यादा पुरुषोत्तम राम के गले मे जैसे ही माता जानकी ने माला पहनाया।भक्त और साधु संतों ने फूलो की बारिश करने लगा। विवाह के उल्लास में डूबे संत-धर्माचार्य व श्रद्धालुओं ने वैदिक परंपरा के अनुसार कलेवा, नेग व न्यौछावर रस्म के दौरान
अपनी आस्था निवेदित की। देर रात तक मंदिरों में आयोजित विवाहोत्सव के दौरान भक्तो की भाड़ी भीड़ उमड़ी हुई थी।ब्यास नवल किशोर ठाकुर ने आजू मिथिला नगरियां निहाल सखियाँ,चारो दूल्हा में बड़का कमाल सखियाँ,मंगल करण गणेश दे प्रथम मनाई हे, देबउ श्री राम जी दूल्हा दुल्हिन युग संयोग बनाई हे,सिया रानी का अचल सुहाग रहे, राजा राम के सिर पर ताज रहे’, ‘राम जी से पुछैं जनकपुर के वासी, बता दिया बबुआ लोगवा देत काहे गारी’ जैसे विवाह के गीत व गारी का गायन कर मठ-मंदिरों में गुंजायमान होती रही। साधु-संत भी इस श्रीराम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न की बारात के मिथिला में पहुंचने के बाद राम जानकी की विवाह देर रात तक वैदिक रीति-रिवाज के साथ आयोजित हुआ। एक तरफ वेद मंत्रों की गूंज के बीच फेरे लिए जाते रहे तो दूसरी तरफ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गीत-संगीत की धुन में श्रद्धालु भक्त निमग्न रहे।वही भक्त फूलो की बारिश कर थिरकने पर मजबूर हो गए।वही श्रद्धालुओं में खासा उत्साह भी देखा गया।
राम कलेवा को भक्त ने खूब सराहा,हुए भाव विभोर
शिव का धनुष टूटने और राम-सीता के विवाह की लीला का मंचन रस्मों से भरा रहा।वही आकर्षण का केंद्र कलाकार राजेश मिश्रा के द्वारा बनाये गए राम जी के स्वरूप आलोक मिश्रा व सीता के स्वरूप में अभिषेक कुमार थे।गुरु विश्वामित्र, भगवान श्रीराम, लक्ष्मण जनकपुरी पहुंचे तो उनके पांव पूजे गए। वहीं लीला में सबसे मनमोहक पल तब आया जब कलेवा की रस्म हुई और भगवान जब रूठ गए।
उन्हें मनाने के लिए भक्त मिन्नतें करने लगे। छोटे भाई लखन के नखरे भी चढ़ गए और उन्होंने सासू मां सुनैना का आंचल पकड़ लिया। उन्हें मनाने के लिए मैथली में गीत गाए जाने लगे। घंटे भर मिन्नत कराने के बाद भगवान कलेवा खाने के लिए राजी हुए।मंगलवार की देर रात को राम कलेवा के दौरान होने वाले हंसी मजाक और गीतों को देख-सुनकर भक्त सबसे अधिक आनंदित हुए। विवाह के बाद राम कलेवा को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी।उपस्थित सभी भक्त ने चारों भाइयों को नेगचार देकर अपने को कृतार्थ किया।
भक्त हो तो हनुमान जैसा:-ब्यास नवल
राम विवाह के बाद राम सीता की आरती उतारी गई ।वही भक्त कथा सुनने को बेचैन दिखे।महंत माधव दास ने भक्तो के बीच कथा का श्रवण कराया।उन्होंने कहा कि राम नाम से ही सभी के कष्ट दूर हो जाते हैं। हर भक्त को चाहिए कि राम नाम का जप सदैव करते रहें। उन्होंने वीर हनुमान की भक्ति की भी व्याख्या की। उन्होंने कहा कि हनुमान के हृदय में केवल राम और सीता के अलावा कुछ भी नहीं था। जब भगवान राम ने राज्याभिषेक के बाद हनुमान को मोतियों की माला भेंट की तो हनुमान उन मोतियों को दांतों से काट-काट कर उसमें राम को तलाश करने लगे। उन्होंने कहा कि भक्ति हो तो हनुमान जैसी। कथा व्यास नवल ठाकुर के संगीतमय प्रवचन से श्रोता भाव विभोर हो उठे। रोज रामकथा सुनने को सैकड़ों भक्त मौजूद थे। वही ऑर्गन वादक मदन जी,तबला वादक मिथिलेश बिहारी,अरुण ठाकुर, मुकेश ठाकुर,पैड राजू राणा,पशुराम ठाकुर,रविन्द्र ठाकुर ने सभी भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।मौके पर मोहन कुमार,सुबोध कुमार,प्रमोद कुमार सहित सभी ग्रामवासी की भूमिका सराहनीय हैं।
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