आरती करते पुजारी
के द्वारा षोडशोपचार भगवान गणितज्ञ बोधायन की विशेष पूजा अर्चना की गई।वही ध्वजारोहण भी किया गया।मंदिर परिसर के दक्षिण शुशोभित सुंदर व आकर्षण सरोवर की विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के तहत पुजारी शिवम दास के तत्वाधान में पूजा अर्चना कर सामूहिक परिकर्मा भी की गई।इस दौरान दूर दराज से पहुंचे साधु संत भी शामिल हुए। जयंती पर कई साधु संत शामिल होकर भगवान बोधायन की सराहना कर बताया कि महान दार्शनिक व काल्पनिक गाँव हैं मिथिला नगरी के सीतामढ़ी स्थित बाजपट्टी के बनगाँव गोट के बोधायनसर।मालूम हो कि मंदिर के पूरब व सरोबर के उत्तर बोधायन वट वृक्ष जो आज भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।यह स्थल हजारों प्रशिद्ध संतो की तपोभूमि भी रही हैं।उनकी भी पूजा अर्चना की गई।पूजा के उपरांत वट वृक्ष की परिक्रमा भी की गई।मालूम हो कि भगवान बोधायन इसी वक्त वृक्ष के समीप तपस्या करते थे।उसी वक्त वृक्ष के नीचे वे अपनी तत्कालीन शिष्यों को वेदांत की ज्ञान दिया करते थे।वट वृक्ष के नीचे तत्कालीन सम्पूर्ण भारत के विद्यार्थी वेदांत का ज्ञान प्राप्त करने बनगाँव बोधायन सर आते थे।भगवान बोधायन स्न्नान कर इस सरोवर से अपने नित्य नैमेतीक कार्यो को पूरा करते थे।इसी महत्वा को देखते हुए सभी साधु संतों ने सरोवर की परिक्रमा की।वही विशेष पूजन अर्चन भी किया गया।साधु संतों ने इस सरोवर को अति महत्वपूर्ण बताया।वही जय सियाराम जय जय हनुमान, जय सियाराम जय श्री बोधायन भगवान आदि के उच्चारण से परिक्रमा की।
ध्वजारोहण की पूजन करते पण्डित व पुजारी
भगवान बोधायन की आरती में शामिल हुए भक्त
पूजा के उपरांत भगवान की विशेष महाआरती उतारी गई।जहाँ सभी साधु संतों ने भगवान बोधायन की विशेष महाआरती में शामिल हुए।इस दौरान मन्दिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।वही महाआरती के बाद सभी भक्त ने उनकी विशेष पूजा अर्चना की।वही महाआरती के बाद महा भंडारा का आयोजन किया गया।माहौल भक्तिमय कायम रहा।
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