बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (बिपार्ड) के तत्वाधान में जिला परिषद कार्यालय में स्थित जिला पंचायत संसाधन केंद्र सभागार सीतामढ़ी में दो दिवसीय कार्यशाला के दुसरे दिन के प्रथम सत्र कि शुरुआत कि गई।
कार्यशाला कि शुरुआत में मौजूद विधि मित्रों ने उपस्थिति पंजी पर अपना नाम पता दर्ज किया। इसके बाद डा० अमन कुमार ने आज कि कार्यशाला में चर्चा होने वाले विषय दहेज प्रथा,बाल विवाह, नशा मुक्ति,और साइबर से परिचित कराते हुए विषय प्रवेश कराया। इसके बाद कार्यशाला में उपस्थित प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी श्री अभिनय गिरी ने उपस्थित विधि मित्रों को संबोधित किया। अपने संबोधन में श्री गिरी ने कहा कि उपरोक्त सभी समस्याएं सामाजिक कुरुतियां है,हम सबको इस कार्यशाला में उत्साह पूर्वक भाग लेने कि आवश्यकता है ताकि हम सब अपने गांव, पंचायत,समाज को इन कुरुतियों से मुक्त करा सके और एक स्वस्थ, सुंदर, स्वच्छ समाज का निर्माण कर सके।
कार्यशाला के दुसरे दिन के प्रथम सत्र में अधिवक्ता श्री संतोष कुमार ने नशा मुक्ति के मुद्दे पर अपनी बात शुरू कि। उन्होंने नशे को एक गंभीर सामाजिक बूराई बताते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई। उन्होंने नशे के विभिन्न प्रकार, उसके बदलते तरीकों, नशे में लिप्त होने के कारण,इन विषयों पर विस्तृत चर्चा कि। कार्यशाला में मौजूद विधि मित्रों ने विशेषतः मध्द निषेध अधिनियम से जुड़े कई मुकदमे के संस्मरण,उस दौरान आने वाली तकनीकी बातों को साझा किया। श्री कुमार ने विधि मित्रों कि विभिन्न जिज्ञासाओं को सुना और उनका समुचित,संतोषजनक जवाब दिया। उन्होंने बिहार मधनिषेध और उत्पाद अधिनियम -2016 एवं संशोधित नियमावली -2022 पर चर्चा करते हुए कहा कि बिहार में पुर्ण शराबबंदी लागू है, बिहार में शराब का क्रय-विक्रय,संग्रहण आदि अपराध है।उसके बावजूद लोग झूठे प्रलोभनों में फंसकर,शराब माफिया बच्चों का सहारा लेकर जिस तरह से अवैध व्यापार कर रहे हैं इसे रोकने के लिए हम सब को कानूनी और सामाजिक दोनों तरीके से मजबूत होना होगा। उन्होंने शराबबंदी कि विभिन्न धाराओं, शराबबंदी के तहत जप्त मकान,वाहन के संबंधित धारा 56,57,58,62, संशोधित अधिनियम -2022 कि धारा -14 के विषय में भी विस्तृत बात कि और उपस्थित विधि मित्रों को जानकारी दी। श्री कुमार ने बताया कि फिलहाल बिहार के कुछ जेलों में रेडियो दोस्ती एफ एम एक रेडियो चैनल है जिसके माध्यम से विषय विशेषज्ञ कारा में बंद बंदियों को नशा मुक्ति और इससे होने वाले आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक नुकसान के संबंध में जानकारी देते है। उन्होंने जानकारी दी कि सिर्फ पटना में अब तक मध निषेध अधिनियम कानून के तहत 182 लोगों को सजा सुनाई गई है।इसके बाद उन्होंने एन डी पी एस एक्ट के संबंध में भी विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि नशा मुक्ति अभियान के तहत आप इस तरह के अपराध कि जानकारी दूरभाष संख्या 18003456268,15545 पर दे सकते हैं इसके अलावा आप नशा मुक्ति केंद्र,इस क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं, स्थानीय प्रशासन से भी मदद ले सकते हैं।
इसके बाद सुश्री अंतरा झा ने साइबर क्राइम के मुद्दे पर अपनी बात शुरू कि। सुश्री झा ने कहा कि साइबर अपराध आज एक ग्लोबल अपराध है। इससे सबसे बड़ा बचाव जागरूकता है।तकनीक के विकास से साइबर अपराध का स्वरूप बहुत तेजी से बदल रहा है। जो हम आप सोच नहीं पाते ऐसी ऐसी तकनीक से अपराधी हमारे साथ अपराध कर देते हैं। मोरफेन और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जहां एक ओर फायदे हैं वहीं दुसरे तरफ़ साइबर अपराध से जुड़े लोग इसका गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं। साइबर अपराधी वेबकैम हैक कर लें रहें हैं। साइबर क्राइम का एक रुप है फिशिंग,इसमें जाब आफर,लाटरी स्कालरशिप आदि का लालच दिया जाता है। सोशल मीडिया पर हम सब को अपनी हर एक्टिविटी शेयर करने से बचना चाहिए। सुश्री झा ने बताया कि तकनीक के विकास से तेज़ी से अपराध के रुप बदल रहे हैं अभी कुछ दिन पहले हरियाणा में एक लड़की डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गई थी। साइबर अपराध का ही एक रूप है सलामी अटैक जो आर्थिक नुकसान देता है।इससे हम सब लोग सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित होते हैं।
उन्होंने आनलाइन शापिंग,डिपफेक, चैट जी एप टी,एम आधार लाक और पैसे से संबंधित कई तरह के साइबर फ्राड के बारे में कार्यशाला में शामिल विधि मित्रों को बताया।
सुश्री झा ने कहा कि मूल रूप से साइबर अपराध से बचाव के लिए सतर्क रहें, अंजान काल, मैसेज, लिंक आदि का जवाब न दे,किसी प्रकार के झांसें में न आए, अपने फोन, टैबलेट, लैपटॉप समय समय पर अपडेट और सुरक्षित रखें, अपने सिस्टम किसी और को ना दे और सबसे बड़ी बात कि कभी भी लालच न करें।इस तरह के अपराध में पीड़ित लालच में पड़ कर भी फंस जाते हैं।अगर कभी ऐसा हो तो आप 1930 टाल फ्री नंबर या www.cybercrime.gov.in पर तत्काल इसकी शिकायत कर सकते हैं।सुश्री झा ने कार्यशाला में शामिल विधि मित्रों के विभिन्न सवालों को सुना साथ ही साइबर अपराध से जुड़ी उनकी जिज्ञासाओं को सुना और विस्तृत रूप से साइबर अपराध के संबंध में उन्हें जानकारी दी।
इसके बाद श्री संतोष कुमार अधिवक्ता ने दहेज प्रथा के मुद्दे पर अपनी बात शुरू कि। श्री कुमार ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि सामान्यतः देखने से यह लगता है कि घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा के मामले एक दुसरे से जुड़े होते हैं मगर असल में पूरी तरह ऐसा नहीं है।दहेज प्रथा एक सभ्य और शिक्षित समाज के उपर एक काला दाग है। श्री कुमार ने कहा कि इससे बचाव के लिए कानून कि जानकारी के साथ साथ इंसानी संवेदना और एक अच्छे समाज कि परिकल्पना भी हमें रखनी होगी। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने दहेज प्रथा के विभिन्न स्वरूप, दहेज प्रथा के कारण पर विस्तृत चर्चा कि।इसके बाद श्री कुमार ने विस्तृत रूप से दहेज प्रथा के लिए संविधान में बने धाराओं और उपधाराओं के विषय में विस्तार से कार्यशाला में शामिल विधि मित्रों को बताया। उन्होंने भारतीय दंड संहिता 1860,धारा 304-बी, दहेज निषेध अधिनियम 1961और घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से महिलाओं का संरक्षण पर विधि मित्रों के सवालों के जवाब दिए।
उन्होंने बताया कि दहेज प्रथा कि शिकायत के लिए आप अपने नजदीकी थाना, राज्य या राष्ट्रीय महिला आयोग, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या इस क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्था से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा समाधान शिकायत निवारण प्रकोष्ठ -18001805220, महिला हेल्पलाइन नंबर -1090, पुलिस -100 और 112 नंबर उपलब्ध है जिस पर आप शिकायत और सहायता प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इन सभी नंबरों और सरकार द्वारा दी जा रही सहुलियतो के साथ साथ मानवीय मूल्यों के प्रति इंसानी संवेदना होना आवश्यक है ताकि हम अपने समाज से इस बूराई को हटा सके।
दहेज प्रथा के बाद अंतिम सत्र में चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय स्थित चाइल्ड राइट सेंटर के कार्यक्रम समन्वयक श्री चंदन कुमार ने बाल विवाह और बाल अधिकार के मुद्दे पर अपनी बात शुरू कि। श्री चंदन कुमार ने कार्यशाला में शामिल विधि मित्रों से अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि बाल विवाह,बाल श्रम,पाक्सो, बच्चों के शिक्षा, चिकित्सा, आदि कई तरह से यह सारी चीजें बाल अधिकार से ही जुड़ी है। श्री कुमार ने विस्तृत रूप से सरकार और संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा निर्देशित किए गए बाल अधिकारों के विशेष प्रावधान, बच्चों के मूलभूत अधिकार के विषय में बताया। श्री कुमार ने जे जे बी,बाल अधिकार समिति के संबंध में भी लोगों को बताया।उन्होंने सरकार, संविधान में दिए गए विभिन्न धाराओं, उपधाराओं का हवाला देते हुए कार्यशाला में शामिल विधि मित्रों को बाल अधिकार के संदर्भ में बताया। श्री कुमार ने बाल विवाह के मुख्य कारण जैसे लिंग असमानता, गरीबी, असुरक्षा, संयुक्त परिवार,कई जातियों, उपजातियों कि मान्यता आदि के विषय में बताया। श्री कुमार ने कहा कि बाल विवाह जैसी कुरुती से बच्चों का बचपना खत्म हो जाता है,वह खेल कूद, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि समस्याओं से ग्रस्त हो जातें हैं।बाल विवाह के लिए हमारे देश में सबसे पहले 1929 में कानून बनाया गया जो एक अप्रैल 1930 से पूरे देश में लागू किया गया।बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने के उद्देश्य से सरकार ने 2006 मे बाल विवाह निषेध अधिनियम कानून बनाया। उन्होंने कहा कि इसी तरह बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के अधिकार भी महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में कहीं अगर हम सब को यह दिखे कि हमारे आस पास कहीं बच्चों के अधिकारों का हनन हो रहा है तो ऐसी परिस्थिति में हम त्वरित रूप से 1098,112,पर संपर्क कर इसकी जानकारी दे सकते हैं साथ ही स्थानीय थाना,इस क्षेत्र में कार्यरत कोई स्वयंसेवी संस्था, जिला बाल संरक्षण ईकाई से संपर्क किया जा सकता है।बाल विवाह रोकने के लिए सरकार द्वारा जारी टाल फ्री नंबर 1098,100, महिला हेल्पलाइन नंबर 1090 और जिला कार्यालय के कंट्रोल रूम नंबर 07482-222784 पर सुचना दे सकते हैं। कार्यशाला के दौरान विधि मित्रों ने अपने अनुभव साझा करते हुए विषय से संबंधित कई सवाल भी पूछे जिनका जवाब विषय विशेषज्ञों ने दिया।
कार्यक्रम कि समाप्ति चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय,पटना के बाल अधिकार केंद्र के केंद्रीय समन्यवक डा० अमन कुमार और प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी अभिनय गिरी ने विधि मित्रों और सभी सहयोगियों का धन्यवाद ज्ञापन कर किया।
0 Comments